राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने एक सनसनीखेज मामले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के जवान मोतीराम जाट को दिल्ली में गिरफ्तार किया है। NIA ने दावा किया है कि मोतीराम जाट साल 2023 से पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों को भारत की सुरक्षा से संबंधित संवेदनशील जानकारी लीक कर रहा था। इस मामले ने देश की आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, खासकर तब जब जम्मू-कश्मीर में हाल ही में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है।
NIA के अनुसार, मोतीराम जाट की गिरफ्तारी 21 मई को की गई थी, जो अप्रैल 2025 में पहलगाम में हुए आतंकी हमले की जांच के दौरान हुई। पहलगाम हमले में 26 नागरिकों की जान चली गई थी, जिसमें ज्यादातर हिंदू पर्यटक थे, हालांकि एक ईसाई पर्यटक और एक स्थानीय मुस्लिम भी इस हमले का शिकार हुए थे। इस हमले के बाद सुरक्षा बलों ने देशभर में आतंकवादियों और उनके मददगारों के खिलाफ बड़े पैमाने पर अभियान शुरू किया था। इसी कड़ी में मोतीराम जाट को संदिग्ध गतिविधियों के आधार पर हिरासत में लिया गया।
दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किए गए इस मामले में विशेष जज चंद्रजीत सिंह ने NIA को मोतीराम जाट की 15 दिन की हिरासत की अनुमति दी है। कोर्ट ने कहा कि यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा और भारत में रहने वाले नागरिकों की जान से जुड़ा है। जज ने अपने आदेश में यह भी उल्लेख किया कि NIA को यह जांच करने की जरूरत है कि जवान ने पाकिस्तान को कौन-सी संवेदनशील जानकारी दी और उसके सीमा पार संपर्क कैसे स्थापित हुए। आरोपी को अगली सुनवाई के लिए 6 जून को कोर्ट में पेश किया जाएगा।
जांच से जुड़े सूत्रों के अनुसार, मोतीराम जाट ने पैसे के बदले में पाकिस्तानी खुफिया अधिकारियों को भारत की सुरक्षा से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी दी थी। CRPF के वरिष्ठ अधिकारियों ने 17 मई को उससे पूछताछ शुरू की थी, जब उन्हें उसके और कुछ “राष्ट्र-विरोधी तत्वों” के बीच सूचना के आदान-प्रदान की खबर मिली थी। इसके बाद उसे औपचारिक रूप से 21 मई को NIA को सौंप दिया गया।
यह घटना ऐसे समय में सामने आई है, जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है। पहलगाम हमले के बाद भारत ने इस हमले के लिए पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों को जिम्मेदार ठहराया था। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस हमले को “हाल के वर्षों में नागरिकों पर सबसे बड़ा हमला” करार दिया था, जबकि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसे “कायरतापूर्ण कृत्य” बताया था। विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने भी इस हमले के बाद सरकार की कश्मीर नीति पर सवाल उठाए, लेकिन साथ ही आतंकवाद से निपटने के लिए सरकार को समर्थन देने की बात कही थी।
CRPF, जो भारत की सबसे बड़ी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल है, ने 1965 में पाकिस्तानी सेना के हमले को विफल करने जैसी वीरता की कई मिसालें कायम की हैं। हालांकि, इस घटना ने बल के भीतर कड़ी निगरानी और कर्मियों की जांच प्रक्रिया को सख्त करने की जरूरत को उजागर किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की घटनाएं भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा हैं और इसे रोकने के लिए खुफिया तंत्र को और मजबूत करना होगा।
NIA अब इस मामले की गहराई से जांच कर रही है, जिसमें यह पता लगाया जाएगा कि मोतीराम जाट के पाकिस्तानी एजेंटों से संपर्क कैसे बने और उसने किन-किन जानकारियों को साझा किया। इस बीच, सुरक्षा बलों ने देशभर में संदिग्धों के खिलाफ अभियान तेज कर दिया है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।