उत्तर प्रदेश के बलिया जिले से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। जिले के एक सरकारी अस्पताल में एक गर्भवती महिला को ना डॉक्टर मिला, ना नर्स, और ना ही बेड की सुविधा। मजबूरी में उसे जमीन पर ही अपने बच्चे को जन्म देना पड़ा। यह घटना न केवल स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली को उजागर करती है, बल्कि उन सरकारी योजनाओं पर भी सवाल खड़े करती है, जो गर्भवती महिलाओं को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने का दावा करती हैं।
यह घटना बलिया के बैरिया विधानसभा क्षेत्र के एक सरकारी अस्पताल में घटी। बलिया खबर के अनुसार, अस्पताल में न तो कोई डॉक्टर मौजूद था और न ही कोई नर्स। हालत यह थी कि महिला की मदद के लिए कोई स्टाफ तक नहीं था। डिलीवरी के लिए बेड तक उपलब्ध नहीं था, जिसके चलते उसे जमीन पर ही प्रसव करना पड़ा। इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसने स्थानीय लोगों और नेताओं को जवाबदेही पर सवाल उठाने के लिए मजबूर कर दिया है।
प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल
यह घटना उस समय हुई है, जब उत्तर प्रदेश सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के बड़े-बड़े दावे कर रही है। सरकार ने जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम (JSSK) जैसी योजनाएं शुरू की हैं, जो 2011 से लागू है। इस योजना का मकसद गर्भवती महिलाओं को मुफ्त और सुरक्षित प्रसव की सुविधा देना है, ताकि मातृ और शिशु मृत्यु दर को कम किया जा सके। बलिया जिले की आधिकारिक वेबसाइट (ballia.nic.in) के अनुसार, गर्भवती महिलाओं के लिए 102 नंबर पर मुफ्त एंबुलेंस सेवा भी उपलब्ध है। लेकिन इस घटना ने साफ कर दिया कि जमीनी हकीकत इन दावों से कोसों दूर है।
राजनीतिक जवाबदेही पर उठे सवाल
इस घटना ने स्थानीय नेताओं और जनप्रतिनिधियों की जवाबदेही पर भी सवाल खड़े किए हैं। बलिया से दो मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार में हैं, फिर भी जिले की स्वास्थ्य सेवाएं इस हाल में हैं। बैरिया विधानसभा क्षेत्र के विधायक जय प्रकाश अंचल (समाजवादी पार्टी) और बलिया लोकसभा के सांसद सनातन पांडे पर भी लोगों का गुस्सा फूटा है। सोशल मीडिया पर लोगों ने सवाल उठाया कि अगर बुनियादी सुविधाएं जैसे स्वास्थ्य सेवाएं तक उपलब्ध नहीं होंगी, तो इन नेताओं ने अपने क्षेत्र के लिए क्या किया? कुछ यूजर्स ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक को टैग करते हुए इस मामले में तुरंत कार्रवाई की मांग की है।
स्थानीय लोगों ने घटना को लेकर आक्रोश जाहिर की
इस घटना के बाद स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश देखा जा रहा है। एक यूजर ने लिखा, “भाजपा का अमृत काल चल रहा है, लेकिन हकीकत यह है कि गरीब आदमी इलाज तक नहीं करा पा रहा।” एक अन्य यूजर ने डीएम बलिया और बलिया पुलिस को टैग करते हुए पूछा कि आखिर इस बदहाली का जिम्मेदार कौन है? लोगों का कहना है कि अगर समय पर एंबुलेंस या डॉक्टर की सुविधा मिल जाती, तो शायद यह नौबत न आती।
सरकारी योजनाओं की हकीकत
उत्तर प्रदेश सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने के लिए कई कदम उठाए हैं। JSSK योजना के तहत गर्भवती महिलाओं को मुफ्त प्रसव, दवाइयां, और परिवहन की सुविधा दी जानी चाहिए। इसके अलावा, राष्ट्रीय स्वास्थ्य हेल्पलाइन नंबर 1800-180-1104 और सरकारी अस्पतालों के मरीजों के लिए 1800-180-5145 जैसी सेवाएं भी शुरू की गई हैं। लेकिन बलिया की इस घटना ने साबित कर दिया कि ये योजनाएं कागजों तक ही सीमित हैं।