“मां, मैंने चिप्स के पैकेट नहीं चुराए थे…”, 13 साल के बच्चे ने सुसाइड नोट में लिखी आखिरी बात, फिर कर ली आत्महत्या

By Raushan Kumar - Writer
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पश्चिम बंगाल के पूर्वी मिदनापुर जिले के पंसकुरा में एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे समुदाय को झकझोर कर रख दिया है। 13 साल का एक सातवीं कक्षा का छात्र, कृष्णेंदु दास, चोरी के झूठे आरोप, सार्वजनिक अपमान और मारपीट के बाद इतना आहत हो गया कि उसने कीटनाशक खाकर अपनी जान दे दी। बच्चे ने अपने पीछे एक सुसाइड नोट छोड़ा, जिसमें लिखा था, “मां, मैंने चोरी नहीं की।” इस घटना ने न केवल सामाजिक संवेदनशीलता पर सवाल उठाए हैं, बल्कि बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य और सार्वजनिक शर्मिंदगी के प्रभाव को लेकर भी गंभीर चर्चा छेड़ दी है।

मिठाई दुकानदार ने बच्चे पर चिप्स चोरी का आरोप लगाया

पंसकुरा के गोसाईंबेर बाजार में रविवार दोपहर को यह घटना शुरू हुई। स्थानीय लोगों के अनुसार, बकुलदा हाई स्कूल में पढ़ने वाला 13 वर्षीय कृष्णेंदु दास एक मिठाई की दुकान पर चिप्स खरीदने गया था। यह दुकान एक सिविल वॉलेंटियर, शुभांकर दीक्षित की थी। दुकान पर उस समय कोई मौजूद नहीं था। परिवार के दावे के अनुसार, कृष्णेंदु ने दुकान के बाहर हवा से उड़कर गिरी चिप्स की कुछ पैकेट्स को उठा लिया, यह सोचकर कि वह बाद में पैसे दे देगा। लेकिन शुभांकर ने उसे चिप्स के साथ कुछ दूरी पर देख लिया और उसके पीछे दौड़ पड़ा।

शुभांकर ने बच्चे पर चोरी का आरोप लगाया और उससे पूछताछ की। डर के मारे कृष्णेंदु ने तुरंत 20 रुपये दुकानदार को दे दिए, जो तीन चिप्स के पैकेट्स (प्रति पैकेट 5 रुपये) से ज्यादा थे। इसके बावजूद, शुभांकर ने उसे दुकान पर वापस लाकर कथित तौर पर मारपीट की और सार्वजनिक रूप से माफी मांगने के लिए मजबूर किया। स्थानीय लोगों ने बताया कि इस दौरान कई लोग वहां मौजूद थे, जिससे बच्चे को गहरी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा।

मां ने सबके सामने बच्चे को डांटा

घटना की जानकारी जब कृष्णेंदु की मां को मिली तो, वह उसे वापस उसी दुकान पर ले गईं और सबके सामने उसे डांट दिया। मां का यह व्यवहार बच्चे के लिए असहनीय साबित हुआ। वह इस अपमान को सहन नहीं कर पाया। घर लौटते ही उसने कीटनाशक खा लिया। उसकी हालत बिगड़ने पर उसे तुरंत तामलुक मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले जाया गया, लेकिन गुरुवार को उसकी मौत हो गई।

‘मां, मैंने चिप्स के पैकेट नहीं चुराए थे..’ बच्चे ने सुसाइड नोट में लिखा

कृष्णेंदु ने अपने सुसाइड नोट में जो लिखा, वह बेहद मार्मिक है। उसने अपनी मां से कहा, “मां, मैंने चोरी नहीं की।” यह नोट इस बात का सबूत है कि बच्चा कितना आहत था और उसने खुद को निर्दोष साबित करने की कोशिश में अपनी जान दे दी। इस घटना ने कई सवाल खड़े किए हैं। क्या एक छोटे से बच्चे को इतना अपमानित करना उचित था? क्या दुकानदार को उसकी शिकायत बच्चे के माता-पिता या पुलिस तक ले जानी चाहिए थी, न कि उसे सार्वजनिक रूप से मारना-पीटना और शर्मिंदा करना?

लोगों ने दुकानदार के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की

इस घटना के बाद स्थानीय समुदाय और सोशल मीडिया पर गुस्सा फूट पड़ा। कई लोगों ने शुभांकर दीक्षित के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। सोशल मीडिया यूजर्स ने लिखा कि अगर बच्चे ने चिप्स ले भी लिए थे, तो उसे इस तरह अपमानित करने की क्या जरूरत थी। कुछ ने मां की भूमिका पर भी सवाल उठाए, कि उन्हें अपने बच्चे पर भरोसा करना चाहिए था। पश्चिम बंगाल पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है, लेकिन अभी तक शुभांकर दीक्षित ने कोई बयान नहीं दिया है और न ही उसने अपनी दुकान के सीसीटीवी फुटेज साझा किए हैं।

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